Yantra sefieya @yakshya_ve...
Do you like hindi poetry…???
!! निराश प्रेम !!
दो मीठे बोल प्रेम के लोग ना जाने क्यूं समझते नहीं,
वायदा कर जन्मो का अपनी बात पर क्यूं उतरते नहीं।
लगा कर दाग ,दिलो को दे कर पीड़ा क्यूं सहजते नहीं,
देकर चोट प्रेम की मन को ना जाने क्यूं वो डरते नहीं।
फसा लेते है अपने जालो में चंचल मन बालों को,
छोड़ के मझधारो में उनको ना जाने क्यूं हिचकते नहीं।
जला कर सपने, आशा , और विश्वास के पक्के सेतु को,
बदल के रिश्ते नाते प्रेमो के फिर क्यूं वो रुकते नहीं।
ह्रदय को दे कर आशा प्रेम की ,जला कर विश्वासो के दीप,
बता कर खोट दूसरे में , बुराइयां खुद की गिनते नहीं।
बोल के प्रेम पुजारी खुद को तज देते है सच्चो को,
लगा कर दाग दूसरों पे राह पर खुद ठहरते नहीं।