Karthik Kumar @karthikkuma...
ज़िन्दगी की राहों में बिखरे हैं ख्वाब अधूरे,
उम्मीदों की बारिश में, फिर भी दिल है सूखे।
आज फिर खड़े हैं अपने दर्द की महफिल में,
जहाँ हंसी थी चंद पल, अब ग़म का है सिलसिला।
ज़िन्दगी ने दिए हैं धोखे, और कर्ज़ की हैं बेड़ियाँ,
हर खुशी छीनी है इसने, छोड़ी हैं बस तन्हाइयाँ।
कितनी बार संभाला है खुद को इन राहों में,
हर बार ज़िन्दगी ने किया है बस रुसवा।
फंसा हूँ इस दलदल में, जहाँ निकलना है मुश्किल,
ज़िन्दगी की इस जंग में, लगता है अब हार हूँ।
आगे का रास्ता धुंधला है, नहीं सूझता कोई हल,
इस तूफान में अकेला हूँ, खोजता हूँ मंजिल।
शायद एक दिन ये बादल छटेंगे, नया सवेरा आएगा,
ज़िन्दगी के इस सफर में, फिर से एक उम्मीद जगेगी।