buggs_bunny _ @buggsbunny
हाथ ख़ाली हैं तेरे शहर से जाते जाते
जान होती तो जान लुटाते जाते
अब तो हर एक पत्थर हमें पहचानता है
उम्र गुज़री है तेरे शहर में आते जाते
हाथ ख़ाली हैं तेरे शहर से जाते जाते
अब के मायूस हुआ यारों को रुख़्सत कर के
जा रहे थे तो कोई ज़ख़्म लगाके जाते
रेंगने की भी इजाज़त नहीं हम को वर्ना
हम जिधर जाते फूल खिलाते जाते
मैं तो जलते हुए सहराओं का इक पत्थर था
तुम तो दरिया थे मिरी प्यास बुझाते जाते
मुझ को रोने का सलीक़ा भी नहीं है शायद
लोग हँसते हुवे मुझे देख के आते जाते
हम से पहले भी मुसाफ़िर कई गुज़रे होंगे
कम से कम राह के पत्थर तो हटाते जाते
उम्र गुज़री है तेरे शहर में आते जाते
आज भी हाथ ख़ाली हैं तेरे शहर से जाते जाते…