एक फूल है जो मुरझाया नहीं है लेकिन मुरझाने वाला है। जिसका वापिस खिलना अब मुश्किल है। कितना कठिन है ये पड़ाव जहां दिमाग को जकड़ लिया है हर छोटी बड़ी चिंताओं ने। इतना बेबस कर दिया हालातों ने की अब अच्छा सोचा ही नही जाता। कभी कुछ अच्छा हो भी जाए तो लगता है जरूर कुछ गलत होने वाला है। या तो फूल खिला हो या मुरझाया, ये बीच का पड़ाव दुख देता है। हां एक शख्स था जिसने हाथ थामा था, जिसने फिर से महकना सिखाया था, फिर वही गायब हो गया। मुरझाते हुए फूल को मुरझाने का फिर एक कारण मिल गया। उस फूल में मुझे मेरा चेहरा दिखता है।
Muskan?
No