👀
Anonymous
मैं चाहता भी यही था वो बेवफ़ा निकले
उसे समझने का कोई तो सिलसिला निकले
किताब-ए-माज़ी[1] के औराक़[2] उलट के देख ज़रा
न जाने कौन-सा सफ़्हा[3] मुड़ा हुआ निकले
जो देखने में बहुत ही क़रीब लगता है
उसी के बारे में सोचो तो फ़ासिला निकले…
🛖
🛖
Anonymous
•
नज़दीकियों का पता, हैं दूरियाँ दे गयी!