Pawan kumar @pawanism
बाबा फरीद ने पंजाबी में क्या खूब कहा है
वेख फरीदा मिट्टी खुली,(कबर)
मिट्टी उत्ते मिट्टी डुली,(लाश)
मिट्टी हसे मिट्टी रोवे,(इंसान)
अंत मिट्टी दा मिट्टी होवे,(जिस्म)
ना कर बन्देया मेरी मेरी,(पैसा)
ना एह तेरी ना एह मेरी,(खाली जाना)
चार दिना दा मेला दुनिया(उम्र)
फ़िर मिट्टी दी बन गयी ढ़ेरी,(मौत)
ना कर एत्थे हेरा फेरी;(पैसे कारण झूठ,धोखे)
मिट्टी नाल ना धोखा कर तू,(लोकां नाल फ़रेब)
तू वी मिट्टी मैं वी मिट्टी(इंसान)
जात पात दी गल ना कर तू
जात वी मिट्टी पात वी मिट्टी,(पाखंड)
जात सिर्फ खुदा दी उची
बाकी सब कुछ मिट्टी मिट्टी🙏
Avtar @avtar
Agree…!!
Lakin ye b baat sach h
Jese jal m kamal niralam…!
Murgai nai saanai…!!
Mean apne jo likha sch h lakin bavjud iske hme isi mitti m mitti ho k jeena jruri h or is mitti m rehte hue mitti se alag rehna h thik usi tarah jese kichad m Kamal, or pani m murgai.
Pawan kumar @pawanism
Thanx for ur rply buddy.🙏🙏😊