Shrey Mathur @finding_shre...
फिर वही सुरमई सी श्याम
फिर वही बेकरारी के नाम
बहती हवा सा झोंका तुम
छूकर मुझे मुझमे होता गुम
ये रिमझिम सी होती फुहार
जैसे तेरी पायल की झंकार
मुझसे छिन सा रहा है होश
तेरी महक से हो रहा मदहोश
इस प्याले का अब क्या काम
सुरा तो हो रही यूँ ही बदनाम
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